पीलिया और कब्ज सहित 13 बिमारियों में गुणकारी है गन्ना व गुड़, ऐसे करें सेवन
प्रेमपाल शर्मा
गन्ने का इतिहास बहुत पुराना है और गन्ने से ही गुड़ बनता है। आयुर्वेद चिकित्सा ग्रंथों के अनुसार इसकी 13 जातियां होती हैं। जैसे- पौंड्रक, भीरुक, कोशक, शतपोरक, तापसइक्षु, कांडेक्षु, सुचिपत्रक, नैपाल, दीर्धपत्रक, नीलपोर, मनोगुप्त तथा वंशक। भारत से भारी संख्या में मजदूर (गिरमिटिया) मॉरीशस, द. अफ्रीका, फिजी आदि देशों में ले जाकर शक्कर कोठियों में लगाए गए हैं। भारत के मैदानों में सभी जगह, लेकिन उत्तर भारत में इसकी गहन खेती होती है।
पाए जाने वाले गुणकारी तत्व-
आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्रों में गन्ना मधुर, शीतल, भारी, स्निग्ध, बलकारक, शुद्धकारक, रक्तपित्तनाशक और मूत्रल बताया गया है। गन्ने के रस में विटामिन 'ए', 'बी' 'सी' के साथ लौह तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। भोजन के पूर्व इसका सेवन पित्त का नाश करता है। इसके आलावा गुड़ पाचक, गरम, रुचिकर, मृदु, कफहर और गले की खिचखिच मिटाने वाला है। इसे खाने से लार बहुत बनती है, जिससे पाचन जल्दी होता है। गन्ने और गुड़ में कैल्शियम, मैगजीन, फॉस्फोरस और लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में होता है। गुड़ जितना पुराण होता है उसमें उतने ही औषधीय गुण होते हैं।
इसका औषधीय उपयोग-
गन्ने से बने गुड़ में चमत्कारिक गुण होते हैं। यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है, हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
1- सर्दी-जुकाम:
सर्दी के मौसम में जीरे को बारीक पीसकर गुड़ में मिलाकर रख लें। इसमें से थोड़ा-थोड़ा सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ खाएं तो सर्दी का विकार दूर होगा और जुकाम में आराम मिलेगा।
2- चोट-मोच, कांटा:
हाथ या पैर में कांटा, शीशा या पत्थर गड़ जाए और निकल न रहा हो तो गुड़ को गरम करके बांध लें। इसमें हल्दी मिलाएं तो और भी अच्छा रहेगा, फिर कांटा आसानी से निकल आएगा।
3- दुग्धवृद्धि:
नव प्रसूता और स्तनपान करानेवाली माताओं को दूध न उतरता हो या कम मात्रा में उतरता हो तो गुड़ में जीरा पाउडर मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ सेवन किया करें। इससे उनके स्तनों में दुग्धवृद्धि होगी।
4- शारीरिक विकास:
गुड़ के सेवन से शरीर का विकास होता है। क्योंकि गुड़ में लौह, जिंग, कैल्शियम, प्रोटीन तथा दूसरे खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
5- पाचन तंत्र के लिए लाभदायक:
अगर पाचन तंत्र में कोई समस्या रहती है तो गुड़ के साथ भुने चनों का सेवन करें। पाचन तंत्र की समस्या दूर हो जाएगी।
6- वायु विकार:
पेट में वायु परेशान करती हो तो गन्ने का ताजा रस उबालकर उसमें आधा नीबू का रास निचोड़ें, इसमें कला नमक और कुचला हुआ अदरक डालकर पीएं। इससे वायु विकार दूर होता है।
7- खून की कमी:
शरीर में खून की कमी महसूस हो तो ताज़ा गन्ने का रस सुबह-सुबह पीएं। इसके साथ-साथ गन्ने के रस में खीर पकाकर खाया करें। इससे जल्दी ही शरीर में नया खून बढ़ता महसूस होगा।
8- रक्तातिसार:
खुनी दस्तों में गन्ने के रस में बराबर मात्रा में अनार का रस मिलाकर दिन में लगभग 3-4 बार पिएं। इससे खूनी दस्तों से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
9- खांसी, सूखी खांसी:
गन्ने के ताज़ा रस को थोड़ा गरम करके उसमें थोड़ी सी पिसी कालीमिर्च और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें। इससे खांसी मिट जाएगी और फेफड़ों को ताकत मिलेगी।
10- मूत्रावरोध:
अगर आपको मूत्रवारोध है यानि पेशाब खुलकर नहीं होती है और पेशाब में जलन होती है तो गन्ने का रस रोज सुबह पीएं। इससे खुलकर पेशाब आएगी और पेशाब में जलन दूर हो जाएगी। क्योंकि की गन्ने का रस मूत्रल होता है।
11- अरुचि-अपच:
गन्ने के ताज़ा रस में नीबू, पोदीना और अदरक का रास मिलकर पीएं तो भोजन से होने वाली अरुचि दूर होगी। इसके साथ-साथ अपच की शिकायत भी दूर होगी। गुड़ में सौंठ मिलाकर भी खा सकते हैं।
12- नकसीर फूटना:
नक् से खून गिरने पर ताज़ा गन्ने के रस में आंवला और धनिए की ताज़ा पत्तियों का रस एक साथ मिलाकर एक सप्ताह तक सेवन करें। नकसीर फूटना बिल्कुल बंद हो जायेगा।
14- पीलिया:
गन्ने का रस पीलिया में पीने से बहुत फायदेमंद शाबित होता है। ताज़ा गन्ने को रात में ओस में रख दो और सुबह-सुबह इसका रस चूसे या रस निकाल कर कुछ दिनों तक पीएं। 3-4 दिन में ही आपको फायदा मिलेगा।
15- पैटिक वमन:
पित्त ख़राब होने से उल्टियां आ रही हों तो गन्ने के एक गिलास ताज़ा रस में 2 चम्मच शुद्ध सहद मिलकर पीएं। इससे पैत्तिक वमन में लाभ होगा।
16- मलावरोध:
रात को आधा लीटर दूध में खूब सारा गुड़ या शक्कर डालकर पीएं तो सुबह पेट बिल्कुल साफ हो जाता है, कब्ज नहीं रहती है। भोजन के बाद थोड़ा सा गुड़ खाया करें, तो भोजन भली प्रकार से पच जाता है।
(यह आलेख प्रेमपाल शर्मा की किताब से साभार लिया है)
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